क्या प्राप्त किया, क्या क्या खोया
कुछ याद नही ,अब सोने दो.
कल कोण हँसा, रोया अब कौन
कुछ नहीं फिकर, अब सोने दो.
रातो की वो उधेड़ बुन, वो तनहा सा विराना मन,
छोडो सब को अब सोने दो.
हर घर में दीपक जलता है, साड़ी रात वो गलत है,
तुम भी बुझा उस दीपक को, करो अँधेरा, सोने दो............
मुझको तुमपे चिल्लाना है, तुमपर पूरा झल्लाना है,
हर कुंठा पर कुंठित होकर
आ जाओ इधर, अब सोने दो....................
अंधियारों से मिल जाऊ मैं, नहीं पता, जल जाऊ मैं,
मुझको इसका उत्तर बतला, कर दो संतुष्ट ,अब सोने दो ..............
आखें बोझिल सी लगती है, बिन बात अकेले जगती है,
दे दू क्या इनको आराम ?
समझाओ मुझे अब सोने दो................
हर एक उजाला परख लिया , अब अंधियारे को समझ लिया,
मेरी बुध्धू सी सोच पे हस , मुझे लगा ठहाका सोने दो........................
दिन रात अकेले चलता हूँ , बिन बात तमाशा करता हूँ
हो गया बोहोत थका गया बहुत अब सोने दो...................................